स्नातक प्रवेश सम्बन्धी नियम
1. महाविद्यालय में प्रवेश प्रक्रिया शैक्षिक सत्र जून -जुलाई से प्रारम्भ हो जाती है जो 31 जुलाई तक पूर्ण कर ली जाती है, स्नातक प्रथम वर्ष की कक्षाओं में इस तिथि के बाद प्रवेश देय नही होगी।
2. प्रवेशार्थी को इंटरमीडिएट परीक्षा में कम से कम निम्नलिखित अंक अर्जित करना अनिवार्य है ।
(अ) बी०ए० प्रथम वर्ष में प्रवेश के लिए न्यूनतम 45% अंक
प्रवेश के समय वांछित सामग्री:
योग्यता की सूची में नाम आ जाने पर प्रवेशार्थी निम्नलिखित सामग्री तथा प्रमाण पत्रों के मूल प्रति लेकर अपने माता-पिता/अभिभावक के साथ निर्धारित तिथि तथा समय पर महाविद्यालय में उपस्थित हो।
1. अंतिम कक्षा की अंकतालिका ।
2. हाईस्कूल प्रमाण-पत्र ।
3. जाति संबंधित प्रमाण-पत्र (केवल अनुसूचित जाति/जनजाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के विद्यार्थी )।
4. अंतिम संस्था का स्थानांतरण प्रमाण-पत्र (टी०सी०)।
5. अंतिम संस्था का चरित्र प्रमाण-पत्र।
कक्षाओं में उपस्थिति :
उ०प्र० शासन एवं निदेशक (उच्च शिक्षा) उ०प्र० एवं कुलपति विश्वविद्यालय के आदेशानुपालन में प्रत्येक विभागों की कक्षाओं में विद्यार्थियों की नियमित उपस्थिति अनिवार्य है । 75% से कम उपस्थिति वाले छात्रा की शासकीय सहायता (छात्रवृत्ति, शुल्क मुक्ति, निर्धन छात्रा सहायता कोष, बुक बैंक) एवं अन्य सहायता पर रोक के साथ विश्वविद्यालय परीक्षा से भी वंचित कर दिया जाएगा ।
स्नातक प्रवेश सम्बन्धी नियम :
स्नातक प्रवेश सम्बन्धी नियम किसी कारणवश अन्य अनुमन्य संकाय में प्रवेश चाहने की सम्भावना को देखते हुए प्रार्थी उस अन्य संकाय में भी आवेदन-पत्र भरें, क्योंकि आवेदन-पत्र का स्थानान्तरण एक संकाय से दूसरे संकाय में नहीं होगा । किसी कक्षा में प्रवेश लेकर उसकी परीक्षा में अनुत्तीर्ण होने अथवा परीक्षा छोड़ देने वाले परीक्षार्थी को पुनः उसी कक्षा में अथवा अन्य संकाय की कक्षा में प्रवेश नहीं दिया जायेगा । संकाय अथवा विषय बदल कर उसी कक्षा में पुनः प्रवेश नहीं दिया जायेगा जिसकी परीक्षा विद्यार्थी एक बार उत्तीर्ण कर चुका है । शासन द्वारा निर्धारित प्रवेश आवेदन नियमों का पालन किया जायेगा। इस महाविद्यालय में कार्यरत किसी अधिकारी/कर्मचारी के पुत्र/पुत्री, पति/पत्नी तथा सगे भाई-बहन को अनिवार्य न्यूनतम अर्हता के आधार पर प्रवेश दिया जायेगा । प्रवेशार्थी सोच-विचार कर विषयों का चयन करें। प्रवेश के पश्चात विषय परिवर्तन नहीं किया जायेगा । बिना कारण बताये प्राचार्य कोई प्रवेश अस्वीकार या निरस्त कर सकते हैं । विश्वविद्यालय अधिनियम की धारा 69 के अनुसार किसी भी न्यायालय को प्रवेश सम्बन्धी मामलों में हस्तक्षेप का अधिकार नहीं है ।